भदोही का कालीन White House और Buckingham Palace तक

भदोही का कालीन White House और Buckingham Palace तक

 

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में बसा एक छोटा सा जिला भदोही, आज पूरी दुनिया में ‘कारपेट सिटी ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भदोही में बने हुए कालीन सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि व्हाइट हाउस (अमेरिका) और बकिंघम पैलेस (ब्रिटेन) जैसे विश्वप्रसिद्ध स्थानों की शोभा भी बढ़ा चुके हैं?
यह भदोही के हुनर, परंपरा और मेहनती कारीगरों की सच्ची पहचान है।

भदोही: कालीन निर्माण की विश्व राजधानी

भदोही का कालीन उद्योग करीब 300 साल पुराना है। यहां की बुनाई की कला पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। यहां के कालीन मुख्यतः हाथ से बुने जाते हैं, जिनमें ऊन, सिल्क और कॉटन का उपयोग होता है। फारसी डिज़ाइन, कश्मीरी बूटे, और मॉडर्न आर्ट वर्क के मेल से बने कालीन न केवल सुंदर होते हैं बल्कि टिकाऊ और लग्ज़री क्वालिटी के होते हैं।

व्हाइट हाउस और बकिंघम पैलेस तक कैसे पहुँचा भदोही का कालीन?

अमेरिका के व्हाइट हाउस, जहाँ अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हैं, वहाँ की कुछ राजकीय बैठकों और सभागारों में जो कालीन बिछे हैं, वे भदोही के कारीगरों द्वारा बनाए गए हैं।
इसी प्रकार ब्रिटेन की महारानी का आवास बकिंघम पैलेस भी भदोही के कालीन से सजा है।
ये न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि भदोही की अंतरराष्ट्रीय पहचान को भी दर्शाता है।

कारीगरों की मेहनत और भारतीय विरासत

भदोही में करीब 25 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कालीन उद्योग से जुड़े हैं। एक कालीन को तैयार करने में कई हफ्ते या महीनों का समय लग सकता है। कारीगरों की उंगलियों की चाल, धागों का चयन और रंगों की समझ इसे एक कला का अद्भुत रूप बनाते हैं।

आज का भदोही: ग्लोबल मार्केट में भारत की पहचान

आज भदोही से हर साल हज़ारों करोड़ रुपये का कालीन अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, जापान, और खाड़ी देशों में निर्यात होता है।
सरकार ने भी भदोही को “एक जिला एक उत्पाद” (ODOP) योजना के अंतर्गत विशेष मान्यता दी है।

भदोही का कालीन अब सिर्फ ज़मीन पर बिछने वाला कपड़ा नहीं रहा, यह अब भारत की संस्कृति, कला, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का प्रतीक बन गया है।
जब व्हाइट हाउस और बकिंघम पैलेस जैसे महलों में भदोही का कालीन बिछता है, तो वह हर भारतीय को गौरव और आत्मविश्वास से भर देता है।

भदोही का सालाना टर्नओवर (Per Annum Income):

🔹 ₹6,000 से ₹8,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष
(2024 के अनुसार अनुमानित आँकड़ा)

🔹 इसमें से लगभग 75% कालीन निर्यात (Export) के माध्यम से आता है।
यानि, भदोही अकेले भारत के कालीन निर्यात का करीब 40% हिस्सा संभालता है।

🔹 भदोही से कालीन मुख्य रूप से अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस, यूएई आदि देशों को भेजे जाते हैं।

कुल रोजगार और लाभ

🔸 लगभग 25 लाख लोग इस उद्योग से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
🔸 भदोही के कई बड़े निर्यातक सालाना 10 करोड़ से 200 करोड़ रुपये तक का कारोबार हैं

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